गोपाल के लिए उसका मित्र विनय हमेशा साथ खड़ा था। उनकी दोस्ती बचपन से ही शुरू हुई थी और सालों तक बढ़ती गई। जब भी गोपाल किसी मुश्किल में फंसता, विनय उसके साथ होता।
एक दिन, गोपाल की माँ बीमार पड़ गई। वह बहुत चिंतित था क्योंकि उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। गोपाल ने विनय से मदद के लिए विनय को बताया। बिना किसी सोच-समझ के, विनय ने अपने बचत के पैसे गोपाल को दे दिए।
गोपाल को देखकर विनय की सच्चाई उसके दिल को छू गई। गोपाल की माँ का इलाज हो गया और वह विनय के प्रति अपनी आभारी भावना साझा करता रहा।
इस घटना से, गोपाल ने समझा कि एक सच्चा मित्र वह होता है जो संघर्ष में आपके साथ होता है और आपके लिए अपने आप को खपा देता है। विनय ने इस संदेश को गोपाल को दिया कि असली मित्रता उस समय जागरूक होती है जब जरूरत होती है।