2. सच पूछिए तो इस बात की भी क्या बात है, जिसके प्रभाव से मानवजाति समस्त जीवधारियों की शिरोमणि (अशरफ-उल-मखलूकात) कहलाती है। शुकसारिकादि पक्षी केवल थोड़ी-सी समझने योगय बातें उच्चरित कर सकते हैं, इसी से अन्य नभचारियों की अपेक्षा आदृत समझे जाते हैं। फिर कौन न मानेगा कि बात की बड़ी बात है। हाँ, बात की बात इतनी बड़ी है कि परमात्मा को लोग निराकार कहते हैं तो भी इसका संबंध उसके साथ लगाए रहते हैं। वेद, ईश्वर का वचन है, कुरआनशरीफ कलामुल्लाह है, होली बाइबिल वर्ड ऑफ गॉड है। यह वचन, कलाम और वर्ड बात ही के पर्याय हैं जो प्रत्यक्ष मुख के बिना स्थिति नहीं कर सकती। पर बात की महिमा के अनुरोध से सभी धर्मावलम्बियों ने "बिन बानी वक्ता बड़ जोगी" वाली बात मान रखी है। प्रश्न-(क) गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए। (ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। (ग) किस कारण मानवजाति समस्त जीवधारियों की शिरोमणि है? (घ) शुकसारिकादि अन्य नभचारियों की अपेक्षा अधिक आदर क्यों पाते हैं? (ङ) निराकार परमात्मा का सम्बन्ध बात, से कैसे है?