दिया है - चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा तथा कुंडली के
तल के मध्य बनने वाला कोण ` theta = 45^(@) , 10 ` सेमी , 0.1 मी
B = 0.10 T , A = 1`(1.0 xx 0.1)" मी"^(2)`
कुंडली से सम्बद्ध अधिकतम फ्लक्स
` phi _("max") = B.A . Cos 45^(@)`
` = 0.1 xx (0.1 xx 0.1 ) xx cos 45^(@)`
` phi _("max") = (10^(-3))/(sqrt(2)) = 0.7 xx10^(-3) ` वेबर
अतः प्रेरित वि. वा. बल ` epsilon = (dphi)/(dt) = (phi_("max")-0)/t `
` = (0.7 xx 10^(-3) -0)/(0.7)`
` = 10^(-3) V`
= 1 mV
अतः प्रेरित धारा का परिणाम ` I = epsilon/R = 1/5 = 0.2 " mA"`
पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र भी लूप में कुछ धारा उत्पन्न करता है , लेकिन चूँकि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र स्थिर है , अतः और कोई वि. वा. बल प्रेरित नहीं होगा ।