Correct Answer - Option 3 : कबीर
काहे री नलिनी तू कुम्हलानी....पंक्तियाँ कबीर दास जी की है।
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कबीर दास जी के गुरु का नाम "रामानंद" है।
- कबीरदास की भाषा को पंचमेल खिचड़ी, सधुक्कडी आदि नाम से अभिहित किया जाता है।
- कबीर की वाणी का संग्रह उनके शिष्य धर्मदास में बीजक नाम से सन 1464 में किया है।
- बीजक के तीन भाग हैं:-
कबीर की रचनाओं में प्रयुक्त छंद एवं भाषा निम्नलिखित हैं:-
रचना
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अर्थ
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प्रयुक्त छंद
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भाषा
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रमैनी
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रामायण
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चौपाई+दोहा
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ब्रजभाषा और पूर्वी बोली
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सबद
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शब्द
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गेय पद
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ब्रजभाषा और पूर्वी बोली
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साखी
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साक्षी
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दोहा
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राजस्थानी, पंजाबी मिली खड़ी बोली
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