मुगल सम्राट बाबर ने अपने सैनिक बल के आधार पर ही भारत में मुगल सत्ता स्थापित की थी। औरंगजेब के समय तक यह सत्ता अपनी शक्ति को स्थापित रख सकी। लेकिन बाद के शासक सैनिक-व्यवस्था को ठीक नहीं रख सके, जिससे उनकी प्रतिष्ठा नष्ट हो गई और मुगल साम्राज्य का पतन हो गया। मुगल सेना में मुख्यत: तीन प्रकार के सैनिक और अधिकारी होते थे
⦁ मनसबदार और उनके सैनिक – प्रत्येक सैनिक अधिकारी को मनसब (पद) प्रदान किया गया था। बादशाह के अधीन राजाओं को भी मनसबदारों की श्रेणी में सम्मिलित किया गया था। बादशाह उनको उनके मनसब के अनुसार वेतन देता था। | मनसबदार स्वेच्छा से अपने सैनिकों की भर्ती करता था।
⦁ अहदी सैनिक – अहदी सैनिक बादशाह के सैनिक थे। बादशाह की तरफ से इनकी भर्ती, वेतन, शिक्षा, वस्त्र, घोड़े आदि की व्यवस्था की जाती थी। एक अहदी घुड़सवार को 500 तक वेतन दिए जाने का उल्लेख है जबकि साधारण घुड़सवार को 12 से 15 तक वेतन मिलता था। अकबर के समय तक इनकी संख्या 12 हजार थी।
⦁ दाखिली सैनिक – ये वे सैनिक थे, जिनकी भर्ती बादशाह की तरफ से की जाती थी। यद्यपि इनको मनसबदारों की सेवा में रखा जाता था।
सेना – मुगल सेना मोटे तौर पर पाँच भागों में बँटी हुई थी। ये पाँच भाग थे- पैदल सेना, घुड़सवार सेना, तोपखाना, नौसैना और हस्ति सेना।
1. पैदल सेना – पैदल सैनिक मुख्यत: दो भागों में बँटे होते थे,
⦁ बन्दूकची और
⦁ शमशीरबाज (तलवारबाज)। इनमें लड़ने वाले सैनिकों के अतिरिक्त दास, सेवक, पानी भरने वाले आदि भी सम्मिलित होते थे।
2. घुड़सवार सेना – घुड़सवार सेना मुगल सेना का श्रेष्ठतम भाग था। इसमें मुख्यतया दो प्रकार के सैनिक थे
⦁ बरगीर; जिन्हें घोड़े, अस्त्र और शस्त्र राज्य की ओर से मिलते थे और
⦁ सिलेदार; जो अपने शस्त्र और घोड़े स्वयं लाते थे। इसके अतिरिक्त वह घुड़सवार, जो दो घोड़े रखता था, दो अस्पा कहलाता था। जिसके पास एक घोड़ा होता था वह एक अस्पा घुड़सवार होता था। निम्न-अस्पा वे घुड़सवार थे जिनके दो सैनिकों के पास केवल एक घोड़ा होता था।
3. तोपखाना – भारत में बाबर ने सर्वप्रथम तोपखाने का उपयोग किया। अकबर ने इसे और शक्तिशाली बनाया। इस क्षेत्र में अकबर का प्रमुख कार्य ऐसी छोटी-छोटी तोपों का निर्माण करना था, जो एक हाथी अथवा ऊँट की पीठ पर ले जायी जा सकती थी। डॉ०आर०पी० त्रिपाठी के अनुसार “तुर्की तोपखाने को छोड़कर अकबर का तोपखाना एशिया में किसी से कम न था क्योंकि अकबर के समय में वह श्रेष्ठता की चरम सीमा पर था।” तोपखाने में यूरोपियनों की नियुक्ति की जाती थी। कहा जाता था कि वे तोपखाने के प्रयोग में दक्ष थे।
4. नौसेना – मुगल सैनिक-शक्ति का यह कमजोर अंग था। अकबर ने पहली बार इस ओर ध्यान दिया था और इसके लिए मीर-ए-बहर की अध्यक्षता में एक अलग विभाग स्थापित किया गया था। वास्तव में मुगल सम्राट नौसेना की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दे सके तथा कालान्तर में यूरोपीय जातियों से पराजित हुए।
5. हस्ति सेना – अकबर ने अपनी सेना में ‘हस्ति सेना’ के संगठन पर विशेष महत्व दिया। उसे हाथियों से विशेष लगाव था। उसकी सेना में एक हजार शाही हाथी थे और बाद में इनकी संख्या पचास हजार तक पहुंच गई। इनका प्रयोग युद्ध में व सामान ढोने में किया जाता था। सम्राट जिन हाथियों का प्रयोग करता था, उन्हें ‘खास’ कहा जाता था। अन्य श्रेणियों के हाथी ‘हलकह’ कहे जाते थे।