1930 ई. के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में बड़े पैमाने पर महिलाओं ने भाग लिया। गाँधीजी के नमक सत्याग्रह के दौरान वे अपने घरों से बाहर निकलीं। उन्होंने जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया तथा विदेशी वस्त्रों एवं शराब की दुकानों पर विरोध प्रदर्शन किया। कई महिलाएँ जेल भी गईं। शहरी क्षेत्रों में जो महिलाएँ उच्च जाति वर्ग की तथा ग्रामीण क्षेत्रों में से धनिक कृषक परिवारों में से थीं, वे राष्ट्र की सेवा को अपना पवित्र कर्त्तव्य मानती थीं।