पूर्ण प्रतियोगिता की अवस्था में वस्तु की कीमत उद्योग की कुल माँग एवं पूर्ति की सापेक्षिक शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है। व्यक्तिगत फर्म की कीमत निर्धारण में कोई भूमिका नहीं होती है क्योंकि उसका उत्पादन में हिस्सा बहुत अल्प मात्रा में होता है। व्यक्तिगत फर्म उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत की स्वीकार करने वाली होती है।