21 सितम्बर, 1857 को मुगल बादशाह बहादुरशाह उनकी पत्नी बेगम जीनत महल तथा उनके पुत्रों को बन्दी बनाकर रंगून भेज दिया गया। 1858 ई. के मध्य क्रान्ति की गतिविधि काफी धीमी हो चुकी थी। ताँत्या टोपे की गिरफ्तारी के साथ ही भारतीयों का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम राजस्थान में समाप्त हो गया। राजस्थान में इस समय तीव्र ब्रिटिश विरोधी भावना दिखाई दी।
जनता ने अंग्रेजों के विरुद्ध घृणा का खुला प्रदर्शन किया। महाराणा से मिलने जाते समय उदयपुर की। जनता ने कप्तान शावर्स को खुलेआम गालियाँ दीं। विभिन्न रियासतों तथा वहाँ की जनता ने शासकों की नीति के विरुद्ध क्रान्तिकारियों का साथ दिया फिर भी राजस्थान में क्रान्ति असफल हो गई।