शुष्क कृषि एवं आर्द्र कृषि में निम्नलिखित अन्तर हैं –
शुष्क कृषि |
आर्द्र कृषि |
1. यह कृषि 50 सेमी. से कम वर्षा वाले भागों में की जाती है। |
1. यह कृषि 100 से 200 सेमी. वर्षा वाले भागों में की जाती है। |
2. इस कृषि में जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जाता है। |
2. जल की अधिकता के कारण जल संसाधनों का न्यूनतम उपयोग होता है। |
3. यहाँ उन्हीं फसलों को बोया जाता है जिनमें पानी की कम आवश्यकता होती है। |
3. यहाँ उन फसलों को बोते हैं जिसमें पानी की अधिक आवश्यकता होती है। |
4. गेहूँ, जौ, ज्वार, बाजरा, चना; केपास प्रमुख फसलें हैं। |
4. इन भागों में चांवल प्रमुख उत्पादन है। वर्ष में दो या तीन फसलें पैदा की जाती हैं। |
5. यह कृषि प. उत्तर प्रदेश, अरावली के पश्चिम में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश आदि राज्यों में की जाती है। |
5. यह कृषि गंगा की मध्यवर्ती घाटी, प्रायद्वीपीय उत्तरी पूर्वी भागों तथा तटीय आर्द्र क्षेत्रों, उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग से अरुणाचल प्रदेश तक आर्द्र कृषि की जाती है। |