(अ) प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड में संकलित तथा श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी द्वारा लिखित ‘क्या लिखें ?’ शीर्षक ललित निबन्ध से उद्धृत है।
अथवा निम्नवत् लिखें-
पाठ का नाम क्या लिखें? लेखक का नाम-श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी।
[ विशेष—इस पाठ के शेष सभी गद्यांशों के लिए इस प्रश्न का यही उत्तर इसी रूप में प्रयुक्त होगा।]
(ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या--लेखक श्री पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी का कहना है कि जिन नौजवानों ने संसार के कष्टों, समस्याओं और कठिनाइयों का सामना नहीं किया, उन्हें यह संसार बड़ा आकर्षक और सुन्दर प्रतीत होता है; क्योंकि वे अपने उज्ज्वल भविष्य के स्वप्न देखते हैं, जीवन-संघर्षों से बहुत दूर रहते हैं और दूर के ढोल तो सभी को सुहावने लगते हैं। जो अपनी बाल्यावस्था और जवानी को पार करके अब वृद्ध हो गये हैं, वे बीते समय के गीत गाकर प्रसन्न होते हैं। नवयुवकों से भविष्य दूर होता है और वृद्धों से उनका बचपन बहुत दूर हो गया होता है। इसीलिए नवयुवकों को भविष्य तथा वृद्धों को अतीत प्रिय लगता है।
द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या-लेखक श्री बख्शी जी का कहना है कि नवयुवक उत्साह और साहस के साथ वर्तमान को बदलना चाहते हैं और वृद्ध बीते हुए समय और उच्च सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना चाहते हैं। इसी संघर्ष में दोनों का जीवन सदैव तनावपूर्ण रहता है। पर इससे लाभ यह है कि युवकों के प्रयास से वर्तमान काल में सुधार होते हैं और वृद्धों के प्रयास से गौरवपूर्ण संस्कृति की रक्षा होती है।
(स)
- वर्तमान समय सदैव सुधारों का समय इसलिए बना रहता है; क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह युवा हो अथवा वृद्ध, अपने वर्तमान से दुःखी होता है। युवा अपने भविष्य के सुखद स्वप्न देखते हैं और वृद्ध अपने अतीत के सुखों का गान करते हैं। वर्तमान किसी को अच्छा नहीं लगता; क्योंकि वह उनके सामने होता है। वस्तुत: जो भी हमें प्राप्त होता रहता है, हम प्राय: उससे असन्तुष्ट ही रहते हैं, इसलिए उसमें परिवर्तन करते रहते हैं। यही कारण है कि वर्तमान समय सदैव सुधारों का समय बना रहता है।
- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक कहना चाहता है कि वृद्धों की सोच से हमारी संस्कॅति सुरक्षित रहती है। और युवाओं की सोच से वर्तमान में सुधार होते रहते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो आगे आने वाली पीढ़ियाँ सदैव एक ही अतीत को ढोती रहतीं।।
- युवाओं को भविष्य की स्मृति मनमोहक प्रतीत होती है और वृद्धों को अतीत की। युवाओं के लिए भविष्य उज्ज्वल होता है और वृद्धों के लिए अतीत। युवा भविष्य को वर्तमान में लाना चाहते हैं और वृद्ध अतीत को। युवा क्रान्ति के समर्थक होते हैं और वृद्ध अंतीत-गौरव के संरक्षक।
- संसार का चित्र ऐसे युवाओं को बड़ा ही आकर्षक प्रतीत होता है, जो जीवन रूपी संग्राम से बहुत दूर हैं; अर्थात् जिन्होंने संसार के कष्टों, समस्याओं और कठिनाइयों का सामना नहीं किया है।
- तरुण और वृद्ध दोनों ही वर्तमान से असन्तुष्ट होते हैं। तरुण भविष्य को वर्तमान में लाना चाहते हैं। और वृद्ध अतीत को। तरुण क्रान्ति का समर्थन करते हैं और वृद्ध अतीत के गौरव का संरक्षण।