1. आर्थिक समस्याएं: सोवियत संघ में अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत खराब थी। लागतीं बढ़ी, उत्पादन में कमी हुई, और युद्धाभ्यासों में भरपूर निवेश ने अर्थव्यवस्था को कमजोर किया।
2. राजनीतिक परिवर्तन: मिखाइल गोर्बाचोव ने 1980s में शुरू किए गए परिवर्तनों की कोशिश की, जिससे गलतियों को सुधारा जा सकता था, परंतु इससे उनकी कई बार्तावों का सामना करना पड़ा और उसका समर्थन भी कम हो गया।
3. युद्धशीलता और अव्यवस्था: सोवियत संघ के साथ युद्ध शुरू होने के कारण बढ़ी अनेक समस्याएं और युद्ध शेष होने के बाद भी संघ का आर्थिक स्थिति सुधारना मुश्किल था।
4. गुड़गांधी नीति की असफलता: गोर्बाचोव की प्रेरणा से चलने वाली ग्लासनोस्त (पारदर्शिता) और पेरेस्ट्रोयका (गौरव योजना) नीतियाँ सामाजिक और आर्थिक सुधार को तेजी से नहीं लाई और यह इस संदर्भ में संघ को कमजोर बनाती रहीं।
इन कारणों से 1991 में सोवियत संघ विघटित हुआ और एक नए युग की शुरुआत हुई।