चुनाव हारने वाले दल, जो सरकार बनाने में असफल रहते हैं, विरोधी पक्ष की भूमिका निभाते हैं तथा वे सरकार के कामकाज, नीतियों तथा असफलताओं की आलोचना करने का महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं। वे तानाशाही सत्ता को अपनाने से सरकार को रोकते हैं। विरोधी दल सदन में कुछ विधियों का प्रयोग करते हैं जैसे-अविश्वास प्रस्ताव और ध्यानाकर्षण। विधायिका से बाहर भी वे सरकार की संगठित आलोचना जारी रखते हैं। विरोधी पक्षों का काम विरोध करना, पोल खोलना तथा सत्ता से उतारना माना जाता है। इस प्रकार उनका उद्देश्य देश में एक बेहतर शासन सुनिश्चित करना होता है।