(c) फूलों द्वारा
पुष्पी पौधों में लैंगिक जनन फूलों में होता है। पौधों में पुंकेसर, नर प्रजनन अंग होता है। इसके दो भाग है: तंतु और परागकोश। परागकोश, परागकण बनाता है। जायांग, मादा प्रजनन अंग होता है। इसके ऊपरी भाग को वर्तिकाग्र, मध्य भाग को वर्तिका और नीचले भाग को अंडाशय कहा जाता है।पौधों में लैंगिक प्रजनन की शुरुआत पहले परागण से होती है, जब पौधे के परागकोश से परागकण वर्तिकाग्र तक पहुंचते है। इसके बाद वे वर्तिका से होकर अंडाशय तक पहुंचनेवाली पराग नलिका द्वारा अंडाशय तक पहुंचते है, इसके बाद, परागकण में मौजूद नर युग्मक अंडाशय के भीतर मौजूद बीजांड में स्थित मादा युग्मक के साथ मिलकर युमग्नज का निर्माण करते है। नर और मादा युग्मक के मिलन की प्रक्रिया को निषेचन कहा जाता है। युग्मनज फिर कई बार विभाजित होने के बाद भ्रूण में विकसित होता है। बीजांड एक बीज में और अंडाशय एक फल में विकसित होता है। पुष्प के अन्य अंग सूखकर झड़ जाते है।