राउल्ट के नियम के अनुसार, "किसी विलायक में अवाष्पशील विलेय मिलाने पर प्राप्त विलयन के वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन उसमें विद्यमान विलेय पदार्थ के मोल प्रभाज के बराबर होता है।
\(\frac {P^0 - P_s}{P^0}= \frac {n}{n+N}\)
जहाँ P0 तथा Ps क्रमशः विलायक तथा विलयन के वाष्प दाब हैं और n तथा N क्रमशः विलेय तथा विलायक के ग्राम-अणुओं की संख्या है।
यदि विलयन अति तनु होता है तो n का मान N की अपेक्षा बहुत कम होता है।
\(\therefore \, n+ N \sim N\)
अत: इस दशा में \(\frac {P^0 - P _s}{P^0} = \frac {n}{N}\) समीकरण प्रयुक्त करते हैं जो अवाष्पशील विलेय के तनु विलयनों पर लागू होती है।