भारतीय चिंतन की परंपरा बहुत प्राचीन और समृद्ध है। भारतीय सभ्यता में चिंतन का महत्व बहुत उच्च माना गया है और इसने भारतीय समाज, संस्कृति, धर्म और राजनीति के विभिन्न पहलुओं को आकार दिया है। भारतीय चिंतन की परंपरा कई श्रृंगारिक और धार्मिक धाराओं में व्यक्त होती है। यहां कुछ मुख्य चिंतन की परंपराओं का वर्णन है:
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वेदांत: वेदांत दर्शन भारतीय चिंतन की महत्वपूर्ण प्रवृत्ति में से एक है। इसमें ब्रह्म, आत्मा, और जगत के बीच एकता का अध्ययन किया जाता है। वेदांत के अनुसार, ब्रह्म सच्चा और अटल है और सभी जीवों का आत्मा उसका अविनाशी अंश है।
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योग: योग भारतीय चिंतन का एक और महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक साधना का अध्ययन किया जाता है। योग के माध्यम से व्यक्ति अपने आत्मा के साथ संयोग स्थापित करता है और उच्चतम आत्मा की प्राप्ति का प्रयास करता है।
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धर्मशास्त्र: धर्मशास्त्र भारतीय चिंतन की एक और महत्वपूर्ण शाखा है, जिसमें धर्म, नैतिकता, और समाजशास्त्र का अध्ययन किया जाता है। यह शास्त्र व्यक्ति को धार्मिक और सामाजिक जीवन में सही कार्यवाही करने के लिए निर्देशित करता है।
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नीति शास्त्र: भारतीय नीति शास्त्र राजनीतिक चिंतन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें राजनीतिक विचार, शासन और शासन की व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।
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वैदिक संस्कृति: भारतीय संस्कृति में वैदिक संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान है। वैदिक साहित्य और धार्मिक ग्रंथों में भारतीय चिंतन के विभिन्न पहलुओं का विस्तारपूर्ण अध्ययन किया जाता है।