1. सुभागी विधवा थी और वह माता-पिता की सेवा करने में कसर नहीं रखती थी, इसलिए तुलसी महतो उसे | बहुत प्यार करते थे।
4. अपने पिता के बाद माँ का देहान्त होने पर सुभागी अकेली ही रही। वह पिता के अन्तिम क्रिया-कर्म पर कर्जा लेने से सजनसिंह की देनदार थी। तीन साल तक उसने कठोर मेहनत की और तीन सौ रुपये महीने की किस्त से सारा कर्जा चुकाया। सुभागी के अच्छे स्वभाव को देखकर सज्जनसिंह ने उसे अपनी बहू बनाने का निश्चय किया। तब एक दिन सजनसिंह ने यह प्रस्ताव रखा, तो सुभागी सहर्ष बहू बनने को तैयार हो गई।