प्रारम्भिक उत्खननों से हड़प्पा सभ्यता के पुरास्थल केवल सिन्धु नदी घाटी क्षेत्र में मिले थे, जिससे इस सभ्यता का नामकरण “सिन्धु घाटी सभ्यता” किया गया था. किन्तु कालांतर में जब सिन्धु नदी घाटी से इतर भौगोलिक क्षेत्रों में इस सभ्यता के अन्य पुरास्थलों की खोज हुई तो इसका यह पुराना नाम अप्रासंगिक हो गया. इस समस्या के समाधान हेतु विद्वानों ने इस सभ्यता का नामकरण पुरातात्त्विक साहित्य में प्रयुक्त होने वाली नामकरण-परिपाटी का अनुकरण करते हुए इसके प्रथम उत्खनित स्थल हड़प्पा के नाम पर “हड़प्पा सभ्यता/Harappa Civilization” कर दिया.
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प्रारंभिक अवस्था (क. 7000 ई.पू. - क. 2600 ई.पू.):
- इस अवस्था में, लोग सेडेंट्री जीवनशैली धारण कर रहे थे और कृषि और पशुपालन की शुरुआत हो रही थी।
- प्रथम नगर और बस्तियों का विकास हुआ।
- इस अवस्था में छोटे-छोटे गांव और मोहल्ले मिलते हैं, जो कि सामूहिक जीवन व्यवस्था को दर्शाते हैं।
- प्राचीन हड़प्पा और मोहनजोदड़ो इस अवस्था की प्रमुख नगरीयां थीं।
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विकासात्मक अवस्था (क. 2600 ई.पू. - क. 1900 ई.पू.):
- इस अवस्था में हड़प्पा सभ्यता की विकासात्मक उन्नति हुई।
- प्रमुख नगरों की स्थापना हुई, जो सम्पन्नता और प्रगति का प्रतीक थी।
- शिल्पकला में विकास हुआ और मूर्तिकला का उद्भव हुआ।
- व्यापार और व्यावसायिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ती रहीं।
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सम्पन्न अवस्था (क. 1900 ई.पू. - क. 1300 ई.पू.):
- इस अवस्था में हड़प्पा सभ्यता का समृद्ध और प्रगतिशील समय था।
- नगरों में महान इंफ्रास्ट्रक्चर विकास हुआ, जिसमें सड़कें, सरकें, और सौचालयों का निर्माण शामिल था।
- वाणिज्यिक और वाणिज्यिक संबंधों में वृद्धि हुई और व्यापार बढ़ा।
- यह अवस्था हड़प्पा सभ्यता की उच्च कला का समय था।
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पतन अवस्था (क. 1300 ई.पू. - क. 1900 ई.पू.):
- इस अवस्था में हड़प्पा सभ्यता का पतन हुआ।
- विभिन्न कारणों के चलते, जैसे कि संभावित प्राकृतिक आपदाएं और आक्रमण, नगरों की समृद्धि घटी।
- नगरियों की आवश्यकताओं को पूरा करने की असमर्थता ने इस सभ्यता को कमजोर कर दिया।
- इस अवस्था में, हड़प्पा सभ्यता के लोग अपने नगरों को छोड़कर दूसरे क्षेत्रों की ओर चले गए, जिससे यह सभ्यता खत्म हो गई।
हड़प्पा सभ्यता के नामकरण और विभिन्न अवस्थाओं का विवरण करके, हम इस प्राचीन और समृद्ध सभ्यता के महत्वपूर्ण घटनाओं और विकासों को समझ सकते हैं।