मार्शल द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा
मार्शल की परिभाषा ‘मानव कल्याण पर केन्द्रित है। धन तो मानव कल्याण में वृद्धि का साधन मात्र है। मार्शल ने अपनी परिभाषा को अन्तिम रूप इस प्रकार दिया है अर्थशास्त्र मानव जीवन के सामान्य व्यवसाय का अध्ययन है; इसमें व्यक्तिगत तथा सामाजिक क्रियाओं के उस भाग की जाँच की जाती है जिसका भौतिक सुख के साधनों की प्राप्ति और उपयोग से बड़ा ही घनिष्ठ सम्बन्ध है।”
मार्शल द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा की विशेषताएँ
⦁ मार्शल ने अर्थशास्त्र को ‘राजनीतिक अर्थशास्त्र’ से अलग करके एक स्वतन्त्र विषय ‘अर्थशास्त्र का नाम दिया।
⦁ मार्शल ने धन के स्थान पर मनुष्य को प्रमुख स्थान दिया, क्योंकि धन ‘साधन’ है और मनुष्य ‘साध्य’। इस प्रकार उन्होंने मानव को अर्थशास्त्र का प्रमुख अंग माना।
⦁ अर्थशास्त्र में सामान्य, सामाजिक तथा वास्तविक मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
⦁ अर्थशास्त्र मानव के जीवन के साधारण व्यवसाय’ का अध्ययन करता है। इसका आशय मनुष्य की उन क्रियाओं से लगाया जाता है, जिनका सम्बन्ध दैनिक जीवन से है।
⦁ अर्थशास्त्र में मनुष्य की क्रियाओं के केवल उस भाग का अध्ययन होता है, जिसका सम्बन्ध धन कमाने व खर्च करने से होता है।
⦁ अर्थशास्त्र के अन्तर्गत केवल उन्हीं आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, जो आर्थिक कल्याण में वृद्धि करती हैं।
⦁ अर्थशास्त्र केवल ऐसे मनुष्य की क्रियाओं का अध्ययन करता है, जो समाज में रहता है, समाज से प्रभावित होता है और समाज को प्रभावित करता है।
⦁ अर्थशास्त्र एक विज्ञान है और उसका अध्ययन वैज्ञानिक आधार पर किया जाना चाहिए।
मार्शल द्वारा प्रतिपादित अर्थशास्त्र की परिभाषा की आलोचना
रोब्रिन्स ने कल्याण केन्द्रित परिभाषाओं की कटु आलोचना की है। मुख्य आलोचनाएँ निम्नलिखित हैं
⦁ ये परिभाषाएँ श्रेणी विभाजक हैं, विश्लेषणात्मक नहीं-
⦁ मार्शल ने अर्थशास्त्र के अध्ययन को केवल भौतिक साधनों की प्राप्ति तथा उपयोग तक ही सीमित रखा है, परन्तु साधन अभौतिक भी होते हैं; जैसे-डॉक्टर, वकील, अध्यापक, मजदूर आदि की सेवाएँ। ये सेवाएँ धन-प्राप्ति में सहायक होती हैं।
⦁ मार्शल के अनुसार, अर्थशास्त्र में मनुष्य की केवल आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। रोबिन्स के अनुसार, क्रियाओं को आर्थिक एवं अनार्थिक–इने दो भागों में बाँटना अनुचित है; क्योंकि एक ही प्रकार की क्रिया एक समय आर्थिक हो सकती है और दूसरे समय अनार्थिक।
⦁ मार्शल के अनुसार, अर्थशास्त्र में मनुष्य के ‘साधारण व्यवसाय का अध्ययन’ है, परन्तु क्रियाओं को ‘साधारण व्यवसाय’ और ‘असाधारण व्यवसाय में बाँटना सम्भव नहीं है।
⦁ अर्थशास्त्र को कल्याण से सम्बद्ध करना अनुचित – प्रो० रोबिन्स के अनुसार, अर्थशास्त्र र्को कल्याण से सम्बद्ध करना अनुचित है, क्योंकि मानव कल्याण एक मनोवैज्ञानिक धारणा है जिसकी सही-सही माप सम्भव नहीं है।
⦁ अर्थशास्त्र उद्देश्यों के प्रति तटस्थ है – रोबिन्स के अनुसार, अर्थशास्त्र उद्देश्यों के प्रति तटस्थ है। उद्देश्य अच्छे हों अथवा बुरे, अर्थशास्त्र का इनसे कोई सम्बन्ध नहीं है।
⦁ अर्थशास्त्र एक मानव विज्ञान है – प्रो० मार्शल ने अर्थशास्त्र को ‘सामाजिक विज्ञान’ बताया है, परन्तु प्रो० रोबिन्स इसे मानव विज्ञान’ मानते हैं।
⦁ अर्थशास्त्र का संकुचित क्षेत्र – कल्याण प्रधान परिभाषाओं ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र को संकुचित कर दिया है क्योकि इनके अनुसार अनार्थिक, अभौतिक तथा असामान्य क्रियाओं का अध्ययन अर्थशास्त्र के अन्तर्गत नहीं किया जाता है।
⦁ अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान है – मार्शल की परिभाषा के आधार पर अर्थशास्त्र एक आदर्श विज्ञान बन गया है, जबकि रोबिन्स के अनुसार, अर्थशास्त्र एक वास्तविक विज्ञान है, आदर्श विज्ञान नहीं।
निष्कर्ष–उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि मार्शल ने अर्थशाग्र की धन सम्बन्धी परिभाषाओं में व्यापक सुधार करके अर्थशास्त्र को एक सम्मानजनक स्थान टि… आज भी मार्शल की परिभाषा सरल एवं व्यावहारिक मानी जाती है।