हरित क्रान्ति- भारत में यन्त्रीकरण के फलस्वरूप सन् 1967-68 में अनाज के उत्पादन में 1966-67 की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत वृद्धि हुई। किसी एक वर्ष में अनाज के उत्पादन में इतनी वृद्धि किसी क्रान्ति से कम नहीं थी। इसलिए अर्थशास्त्रियों ने इसे हरित क्रान्ति का नाम दिया।
कारण- इसे लागू करने का मुख्य कारण कृषि क्षेत्र में अच्छे किस्म के बीज, रासायनिक खाद, आधुनिक यन्त्रों का प्रयोग करने कृषि उत्पादन को बढ़ाना था ताकि देश को खाद्यान्न पदार्थों के लिए विदेशों के आयात पर निर्भर न रहना पड़े।
लाभ-
- इससे उत्पादन में भारी वृद्धि हुई और किसानों का जीवन स्तर ऊँचा उठा।
- किसानों को आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई।
- हरित क्रान्ति के कारण सरकार, पर्याप्त खाद्यान्न प्राप्त कर सुरक्षित स्टॉक बन सकी।
- इसमें किताबों को अच्छे किस्म के बीज, खाद आदि का प्रयोग करने की प्रेरणा दी गई।