डार्विन के दो प्रमुख योगदान (Darwin's two important Contributions)-
उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तक ऐसा माना जाता था कि जीवधारियों की विभिन्न जातियों की वर्तमान रूप में ही अलग-अलग सृष्टि हुई। जातियों को अपरिवर्तनीय माना जाता था।
चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) के दो मुख्य योगदान हैं-
(1) जातियाँ अपरिवर्तनीय नहीं हैं। पहले से विद्यमान जातियों से ही नई जातियों की उत्पत्ति होती है। जीवधारियों की सभी जातियाँ एक ही पूर्वज से उत्पन्न हुई है।
(ii) किसी भी जाति में समयानुसार होने वाले छोटे-छोटे परिवर्तन कालान्तर में इकट्ठे होकर, मूल जाति से इतने अधिक भिन्न हो जाते हैं कि एक नई जाति का ही उद्भव हो जाता है। वास्तव में, छोटे-छोटे परिवर्तनों के पिछले लाखों वर्षों में एकत्रीकरण के फलस्वरूप ही एककोशिकीय जीवधारियों से वर्तमान जटिल जीवधारियों की उत्पत्ति संभव हुई है।
उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर तथा अनेक क्षेपणों (observations) से प्राप्त प्रमाणों के आधार पर डार्बिन (Darwin) ने जीवों के विकास की प्रक्रिया को समझाने के लिए एवं नई जातियों की उत्पत्ति के लिए विचार प्रस्तुत किये, उन्हें डार्बिन का प्राकृतिक वरण (चयन) वाद (Darwin's Theory of Natural Selection) या डार्विनवाद (Darwinism) के नाम से जाना जाता है।