उच्चतर कशेरुकियों में विकसित स्मृति-आधारित उपार्जित प्रतिरक्षा अपनी कोशिकाओं और विजातीय जीवों (जैसे-रोगाणु) के बीच भेद कर सकने की क्षमता पर आधारित है। भेद कर सकने की इस क्षमता का आधार क्या है, यह हमें अभी पता नहीं चला है। फिर इस बारे में दो उपसिद्धांतों को समझना होगा। पहला, उच्चतर कुशेरूकी विजातीय अणुओं और विजातीय जीवों को भी पहचान सकते हैं। प्रयोगात्मक प्रतिरक्षा विज्ञान इस संबंध में जानकारी देता है। दूसरा, कभी-कभी आनुवांशिक और अज्ञात कारणों से शरीर अपनी ही कोशिकाओं पर हमला कर देता है। इसके फलस्वरूप शरीर को क्षति पहुँचती है और यह स्वप्रतिरक्षा रोग कहलाता है। हमारे समाज में बहुत से लोग आमवाती सचि शोथ (रूमेटोयाट आर्थाइटिस) से प्रभावित हैं जो एक स्व-प्रतिरक्षा रोग है।