जैव बल सिद्धान्त (Vital force theory) – इस सिद्धान्त के अनुसार रसारोहण एक जैविक क्रिया (Vital activity) है। पौधों में रसारोहण तने की जीवित कोशिकाओं में होने वाली क्रियाओं के कारण उत्पन्न जैव बलों (Vital forces) द्वारा होता है।
इस सम्बन्ध में प्रमुख वैज्ञानिकों के विचार संक्षेप में प्रस्तुत हैं –
गौड्लेवस्की (Godlewski 1984) के रिले पम्प सिद्धान्त (Relay pump theory) के अनुसार जाइलम मृदूतक (Xylem parenchyma) तथा मज्जा रश्मियों (Medullary rays) की जीवित कोशिकाओं के परासरण दाब में आवर्ती परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप रसारोहण की क्रिया होती है।
सर जे०सी० बोस (Sir J.C. Bose, 1923) के स्पंदन सिद्धान्त (Pulsation theory) के अनुसार पौधों में रसारोहण तने के वल्कुट (Cortex) की सबसे भीतरी कोशिकाएँ जो अन्तस्त्वचा के सम्पर्क में होती हैं में नियमित लयवद्ध स्पन्दन (Rhythmic pulsation) के कारण रसारोहण होता है। उन्होंने अपना प्रयोग भारतीय टेलीग्राफ पादप (Desmodium gyrans) पर किया था।
स्ट्रासबर्गर (Strassburger, 1891) ने अपने प्रयोग से सिद्ध किया कि रसारोहण जैविक क्रिया नहीं है। उन्होंने पादप के कटे भाग को पिक्रिक अम्ल में डुबोया तथा इसके वाद इयोसिन घोल में रखा। थोड़ी देर में इओसिन का लाल रंग पत्तियों तक पहुँच गया। इससे सिद्ध होता है कि पिक्रिक अम्ल से कोशिकाओं के मर जाने के बाद भी रसारोहण क्रिया सम्पन्न हुई और लाल जल पत्तियों तक पहुँच गया। इस प्रयोग से उन्होंने सिद्ध किया कि जीवित कोशिकाओं का रसारोहण की क्रियाविधि से सीधा सम्बन्ध नहीं है परन्तु इनकी उपस्थिति इस क्रिया के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए आवश्यक है।